इस संसार में शक्तिहीन होकर जीना बड़े ही दुर्भाग्य की बात है व्यक्ति चाहे समाज में हो या परिवार में हो उसका बराबर तिरस्कार होता रहता है भाग्य भी साथ नहीं देता वास्तव में कमजोर होना एक अभिशाप है
इसलिए हममें से प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक शक्ति के साथ-साथ विद्या सकती शक्ति और जनशक्ति से संपन्नता प्राप्त करने का निरंतर प्रयास करना चाहिए इस प्रकार से समाज में, परिवार में और पूरे विश्व में
अपना नाम कमाकर सम्मानपूर्वक जी सके क्योंकि शक्ति हीन व्यक्ति तिल-तिल जीता और मरता है ऐसे जीने के बजाय शक्ति संपन्न होकर कुछ दिन जीना श्रेष्ठ है अगर किसी वजह से आप शारीरिक रुप से
कमजोर हैं या शारीरिक शक्ति से बलहीन है और आपके मन में यह आशंका बनी रहती है कि मैं किस प्रकार से सम्मान प्राप्त करूं ऐसी स्थिति में हमारे शास्त्रों में एक अत्यंत उच्चकोटि का श्रेष्ठ प्रयोग दिया हुआ है जिसे
हमें संपन्न करना चाहिए जिससे हमारा जीवन धन से परिपूर्ण हो सके और सुखमय जीवन प्राप्त हो सके ,सही मायने में हम शक्ति से परिपूर्ण हो सके और दुर्भाग्य को हजारों हजार मील दूर धकेल सकें ऐसी क्रिया
करने के लिए निम्नलिखित प्रयोग का अनुसरण करें किसी भी पूर्णमासी को या शनिवार के दिन रात को 9:35 के बाद इस साधना को शुरू करें अपने सामने एक लकड़ी का तख्ता रख ले या लकड़ी की चौकी रख ले
उस पर लाल वस्त्र बिछाकर सबसे पहले स्वास्तिक का चिन्ह बना लें उसके बाद उसी बाजोट या चौकी पर गुरु चित्र स्थापित कर दे जिससे सही मायने में हम शक्ति से परिपूर्ण हो सके गुरु चित्र के सामने चावल से बने
स्वास्तिक पर बलबाहु नृसिंह यंत्र स्थापित करें उसके बाद यंत्र के चारों कोनों पर चार ऊर्जस्वित गुटकाए स्थापित करें उसके बाद यंत्र और गुटकाओ के ऊपर नीचे दिया हुआ मंत्र बोलते हुए जल के छींटे दें
मन्त्र
ॐ अपवित्र पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा |
यस्मरेत पुण्डरीकाक्षम स बाह्य्भ्यांतर: शुचि:||
इसके बाद यंत्र और चारों गुटिकाओ पर केसरिया अष्टगंध का तिलक करें उसके बाद धूप दीप दिखाकर पुष्प चढ़ाये संपूर्ण साधना काल तक घी का दीपक और अगरबत्ती जलते रहना चाहिए साधना करने से पहले गुरु
पूजन और गुरु मंत्र का जप अवश्य ही करना चाहिए जिससे कि साधना काल में कोई विघ्न पैदा ना हो इसके बाद लाल हकीक माला से निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए|
मन्त्र
ॐ निम नृसिंहाय बलदाय
महाबाहवे ह्रीं ॐ फट ||
यह 11 दिन की साधना है साधना समाप्त होने के बाद गुटिका तथा माला को जल में प्रवाहित कर दें यंत्र को अपने पूजा स्थान में लाल कपड़े में बांधकर 21 दिन स्थापित करें और 21 दिन तक उसके सामने धूप दीप
अगरबत्ती सुबह ,शाम को जलाते रहें बाद में इसे भी जल में प्रवाहित कर दें यह बल प्राप्ति का अद्भुत प्रयोग है शारीरिक बल, वीर्य और तेज, कायाकल्प के साथ-साथ स्वस्थता को पूर्ण रूप से प्राप्त करने के लिए यह
अत्यंत श्रेष्ठ प्रयोग माना गया है स्वस्थ देह , स्वस्थ मन और स्वस्थ मन से गुरु का चिंतन गुरु का भजन और ईश्वर का चिंतन मनन ही जीवन का आधार होना चाहिए जिसके माध्यम से प्रभु में आस्था बढ़कर जीवन को
ऊपर उठाने में ईश्वरी शक्ति आधार बन सके इसके माध्यम से यह प्रयोग अत्यंत लाभ प्रदान करेगा |